गुर्जर आरक्षण का मामला ओबीसी कोटे मेसे ही 5 प्रतिशत पर अड़े गुर्जर
आखिर गुर्जरों को पांच प्रतिशत आरक्षण कैसे देगी राजस्थान सरकार? बैठक में नहीं निकला कोई हल।
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राजस्थान में गुर्जर समुदाय को पांच प्रतिशत आरक्षण देने के लिए 21 नवम्बर को एक बार फिर एक बैठक हुई। जयपुर में आयोजित इस बैठक में सरकार की ओर से मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़, हेम सिंह भडाना, अरुण चतुर्वेदी ने भाग लिया, जबकि गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में समिति के सदस्य भी उपस्थित रहे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोनों पक्षों की यह पहली बैठक थी। लेकिन इस बैठक में भी कोई ठोस हल नहीं निकल पाया। गुर्जर नेताओं ने साफ-साफ कहा कि यदि सरकार गुर्जरों को अन्य पिछड़ा वर्ग में पांच प्रतिशत आरक्षण देनी ही चाहती है तो उसे निर्धारित 21 प्रतिशत के कोटे में से दिया जाए। क्योंकि सरकार ने जब-जब भी 21 प्रतिशत कोटे के बाद पांच प्रतिशत आरक्षण देने का विधेयक पास किया है, तब तब सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। संविधान के मुताबिक पचास प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता। इसलिए अब राज्य सरकार को ओबीसी के 21 प्रतिशत कोटे में से ही पांच प्रतिशत गुर्जरों के लिए आरक्षित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सरकार की समस्या है कि वे गुर्जरों को किस प्रकार आरक्षण का लाभ देती है। वहीं सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या ओबीसी में शामिल जातियों के कोटे को कम करने की है। यदि गुर्जर समुदाय के दावे को मानकर 21 प्रतिशत में से पांच प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है तो जाट समुदाय जैसी मजबूत जातियां पुरजोर विरोध करेंगी। इसी प्रकार यदि एससीएसटी के कोटे को छेड़ा जाता है तो मीणा समुदाय जैसी जातियां विरोध करेंगी। सरकार यह नहीं चाहती कि गुर्जरों को खुश करने में दूसरी जातियां नाराज हो जाए। गुर्जर समुदाय को भी यह पता है कि जब तक सरकार 21 प्रतिशत के कोटे में से पांच प्रतिशत गुर्जरों के लिए आरक्षित नहीं करेगी तब तक गुर्जरों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता। हालांकि गुर्जर समुदाय अभी भी ओबीसी वर्ग में शामिल हैं। लेकिन इस समुदाय का कहना है कि ओबीसी वर्ग में शामिल अन्य जातियों के मुकाबले उनके युवा प्रतिस्पद्र्धा में पिछड़ जाते हैं, ऐसे में गुर्जरों को लिए अलग से पांच प्रतिशत का कोटा निर्धारित किया जाये।
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