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कुछ जयचन्दो ने शब्द उधार ले रखा अकल गिरवी रख रखी

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सवाल में कुछ तर्क होता तो इनको जवाब दिया भी जाता |  बिना सर-पैर के सवालों को इग्नोर करना ही समझदारी है | लेकिन सोचा की समाज की तरफ हमारी जिम्मेवारी जरूर बनती है इसलिए जिस तस्वीर को ये विदेशी बता रहे है, जिसको पैरों के नीचे कुचल रहे है, उस पर कुछ पुराने चित्र अपने समाज के सामने रख रहा हूँ | आप खुद अंदाज़ा लगा पाएंगे कि ये किसी विदेशी की तस्वीर है या खुद बनायीं गयी है | गुर्जर परिवार का उद्देश्य था कि हमारे प्रतापी सम्राट मिहिरभोज की कोई आकर्षित से तस्वीर होनी चाहिए जिसमे उनकी युवा अवस्था की छवि दिखाई दे | इस तस्वीर में मिहिरभोज सुडौल, सुन्दर और प्रतापी क्या दिखे, इसे महासभा वाले विदेशी बताने लगे | मतलब हमारे सम्राट हल्के-फुल्के होंगे तभी भारतीय लगेंगे | इसलिए इनके सवाल मुझे तर्कहीन लगे थे | दरअसल तस्वीर इनकी समस्या नहीं है | कुछ उच्च जाति के इतिहासकारों ने एक शब्द उधार दे रखा है इन्हे | वो शब्द है  'विदेशी' , उसे जहाँ मौका मिले उसे चिपकना चाहते है ये लोग ताकि उन जातियों का एजेंडा समाज में परोसा जा सकें | उनका एजेंडा है की जितना ज्यादा इस शब्द को हम चिपकाएंगे उतना गुर्ज

भारत में कुषाण पहचान की निरन्तरता - कसाना गुर्जरों के गाँवो का सर्वेक्षण

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भारत में कुषाण पहचान की निरंतरता- कसाना गुर्जरों के गांवों का सर्वेक्षण डॉ सुशील भाटी अक्सर यह कहा जाता हैं कि कनिष्क महान से सम्बंधित ऐतिहासिक कुषाण वंश अपनी पहचान भूल कर भारतीय आबादी में विलीन हो गया| किन्तु यह सत्य नहीं हैं| अलेक्जेंडर ने ‘आर्केलोजिकल सर्वे रिपोर्ट, खंड 2’, 1864  में कुषाणों की पहचान आधुनिक गुर्जरों से की है| यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक हैं कि ऐतिहासिक कुषाणों से इतिहासकारों का मतलब केवल कुषाण वंश से नहीं बल्कि तमाम उन भाई-बंद कुल, वंश, नख और कबीलों के परिसंघ से हैं जिनका नेतृत्व कुषाण कर रहे थे| कनिंघम के अनुसार आधुनिक कसाना गुर्जर राजसी कुषाणों के प्रतिनिधि हैं तथा आज भी सिंध सागर दोआब और यमुना के किनारे पाये जाते हैं| कुषाण सम्राट कनिष्क ने रबाटक अभिलेख में अपनी भाषा का नाम आर्य बताया हैं| सम्राट कनिष्क ने अपने अभिलेखों और सिक्को पर अपनी आर्य भाषा (बाख्त्री) में अपने वंश का नाम कोशानो लिखवाया हैं| गूजरों के कसाना गोत्र को उनके अपने गूजरी लहजे में आज भी कोसानो ही बोला जाता हैं| अतः गुर्जरों का कसाना गोत्र कोशानो का ही हिंदी रूपांतरण हैं| कोशानो शब्द को

सचिन पायलट राजस्थान का पायलट जिसने कांग्रेस के जहाज को रनवे तक पहुंचाया

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सचिन पायलट – राजस्थान का पायलट जिसने कांग्रेस के जहाज को रनवे तक पहुँचाया। जयपुर: राजस्थान के सबसे चर्चित व प्रभावशाली और हाल ही में उपमुख्यमंत्री बने सचिन कांग्रेस के एक युवा राजनेता हैं। चर्चित राजनीतिक हस्ती स्वर्गीय राजेश पायलट के बेटे हैं। वहीं इस बार हुए चुनावों में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने युवा नेता सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाकर उनपर भरोसा दिखाया है। इससे पहले वे प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जनता के समक्ष रहे हैं। सचिन पायलट का लोहा आज सभी मान रहे हैं क्यूंकि उन्होंने राजस्थान में कांग्रेस को एक ऐतिहासिक जीत दिलाई है। कौन है सचिन पायलट..? सचिन पायलट का जन्‍म 7 सितंबर सन् 1977 को उत्‍तरप्रदेश के सहारनपुर में हुआ था। नोयडा में वेदपुरा उनका पुश्‍तैनी गांव है। सचिन पायलट गुज्जर समुदाय से हैं। उनके पिता राजेश पायलट कांग्रेस के जाने-माने नेता और केंद्रीय मंत्री थे। सचिन पायलट ने अपनी स्‍कूली शिक्षा नई दिल्‍ली के एयर फ़ोर्स बाल भारती स्‍कूल से प्राप्‍त की तथा नई दिल्‍ली के ही सेंट स्‍टीफ़ेंस कॉलेज से स्‍नातक किया, तत्‍पश्‍चात उन्‍होंने अमेरिका के पेंसिलवेनिया विश्‍व

क्यों गुर्जर समाज BJP को वोट दे....?

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गुर्जर समाज bjp को वोट क्यो दे ? 1.समाज द्वारा की आरक्षण को मांग करने पर राजस्थान के 73  गुर्जरो को bjp ने मरवाया है,और हजारों गुर्जरो पर मुकदमे लगवाए है,आज कई लोग जेलो में बंध है। 2.यूपी ,हरियाणा, उत्तराखण्ड में एक भी गुर्जर को मंत्री नही बनाया और गुर्जर युवाओ को अपराधी बता कर उनका फर्जी एनकाउंटर करवा रही है bjp दिल्ली एवं यूपी में। 3.उत्तराखण्ड के वन गुर्जरो को वनों से खदेड़ कर उनको बेघर करने का काम कर रही है भाजपा सरकार। 4.जम्मू कश्मीर के गरीब गुर्जरो को आयेदिन प्रताड़ित करते रहते है ये bjp के लोग, अभी हाल ही में जम्मू के कठुआ में 8 साल की मासूम गुर्जर लड़की आशिफ़ा का bjp के कार्यकर्ताओं द्वारा बलात्कार करके उसकी हत्या कर दी गई और जब पुलिस उन हत्यारो के खिलाफ कार्यवाही करने लगी तो bjp के दो मंत्री लालसिंह,चन्द्र प्रकाश गंगा और विधायक राजीव जसरोटिया ने हत्यारो को बचाने के लिए तिरंगा यात्रा निकाली। 5.जहा भी हिन्दू मुस्लिम दंगे होते है वहा अपनी कॉम के युवाओं को उन दंगो में झोंकने का काम ये bjp के लोग करते आये है भरतपुर का गोपालगढ़ इसका बहुत बड़ा उदाहरण है, Bjp के सभी कार्यकर्

CM राजे का झालरापाटन सीट बचाना इस बार चुनौतियों भरा, जानें राह में क्या हैं बड़े 'खतरे'?

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जयपुर/ झालरापाटन राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 (Rajasthan Assembly Election 2018) में झालावाड़ (Jhalawar) जिले की झालरापाटन (Jhalrapatan) सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Chief Minister Vasundhara Raje) की पारंपरिक सीट खतरे में पड़ती नजर आ रही है। झालरापाटन विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय लोगों का कहना है कि वसुंधरा राजे जब 2003 में झालरापाटन विधानसभा से चुनाव लड़ी थी तब इस पंचायत से एक भी वोट किसी विपक्षी दल को नहीं मिला था लेकिन इस बार हालात अलग है। स्थानीय लोगों ने कहा कि पहले कभी प्रचार के लिए नहीं आते थे लेकिन इस बार वसुंधरा के बेटे और बहू गली-गली घूमकर वोट मांग रहे है। भाजपा के अलावा वसुंधरा परिवार के लोग पहली बार जिस तरह से झालरापाटन में प्रचार में जुटे हैं उससे लग रहा है कि मुख्यमंत्री को आसान जीत नहीं मिलने वाली है। दरअसल, झालावाड़ वसुंधरा राजे का गढ़ माना जाता है। इसी लोकसभा इलाके में झालरापाटन सीट है। सीएम राजे इस लोकसभा सीट से लगातार पांच बार सांसद रही हैं और उनके बाद इस सीट से उनके पुत्र दुष्यंत सिंह तीन बार से चुनाव जीत

आसींद से मनसुख गुर्जर कांग्रेस पार्टी से टिकट के हर मापदंड पर फिट बैठते हैं

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आसीन्द से #मनसुख_गुर्जर काँग्रेस पार्टी से टिकिट के हर मापदण्ड पर फिट बैठते है । आसीन्द का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल सवाईभोज मन्दिर गुर्जर समाज का अंतराष्ट्रीय तीर्थ स्थल है, यहाँ से गुर्जर उम्मीदवार को टिकिट देने से आसपास की दर्जनभर सीटो पर इसका प्रभाव पड़ता है साथ ही पूरे प्रदेश में इसका सन्देश जाता है । आसीन्द क्षेत्र में 70 हजार गुर्जर वोटर है । बीजेपी इस बात को अच्छी तरह समझ रही है, इसलिए लगातार गुर्जर समाज का उम्मीदवार उतारकर चुनाव जीत रही है । काँग्रेस पार्टी जिस व्यक्ति को टिकिट दे रही थी, वो लगातार दो चुनाव हार चुका है, पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़कर काँग्रेस पार्टी के प्रत्यासी को चुनाव हरवा चुका है, उसकी पार्टी के प्रति जरा भी वफादारी नही है । मनसुख जी गुर्जर युवा है और आसीन्द क्षेत्र के विकास के लिए उनके पास विजन है । चार साल पहले पँचायत समिति सदस्य  से अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले मनसुख जी गुर्जर का व्यक्तित्व सेवा भावी है, गरीब असहाय लोगो की प्रत्यक्ष रूप से मदद करते है । जनसभाओ में उनका विशेष ध्यान शिक्षा, रोजगार, नशे का त्याग और कुरीतियो को मिटाने पर होता ह

गुर्जर घार का इतिहास भाग -1

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भाग - 1 गुर्जरघार का इतिहास !! जब जब हम #गूजरघार, #गुर्जर गढ़ की बात करते हैं तब तब हमको चम्बल की खूंखार भयानक वादियों और महान क्रुर डकैतों की याद आती है जिसमे मोहर सिंह, गब्बर सिंह, निर्भय सिंह ,जगन सिंह ,पान सिंह , फूलन देवी आदि 50 डकैत थे । परंतु हम भूल जाते हैं गुर्जर घार में दबी ऐतिहासिक नगरियों की बात करते हैं तो कुतवार प्राचीन कुंटलपुर , गोपाचल मतलब ग्वालियर , भिंडी ऋषि के नाम पर दे रखी भिंड , आगरा , से लेकर ब्रज की सीमा तक एक किनारे से सटीक गुर्जर गढ़ की सीमा प्राचीन ब्रज मथुरा का केंद्र बिंदु था , जिसमे मौर्य , तथा अन्य छोटी छोटी वंशो ने राज किया था जिसमे महान काल के नाम से प्रमुख मौर्य और कुषाण काल को प्रमुखता मिलती है जिसके अतिरिक्त कुषाण काल मे फैले गुर्जरी भाषा के कुछ अंश तथा अन्य प्रमुख बाते मिलती है जिसमे दतिया स्थित उन्नाव का सूर्य मंदिर तथा अशोक के गुर्जरा अभिलख प्रमुख हैं ! गुर्जरा अभिलख में सम्राट अशोक ने अपने पूरे नाम का विवरण किया है जिसका स्थान गुर्जरों के छाबड़ी गोत्र के प्राचीन गाँव के निकट मिलता है जिसमे सम्भवतः अशोक महान ने अपना पड़ाव रखा था ।