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जनवरी, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

उधार बैट लेकर खेलता था युपी का ये गुर्जर क्रिकेटर

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अंडर-19 विश्वकप क्रिकेट में उम्दा प्रदर्शन करने वाले सेक्टर-71 के शिवम मावी गुर्जर ने एक बार फिर से शहरवासियों को गर्व करने का मौका दिया है। इस बार इंडियन प्रीमियर लीग(आइपीएल) के लिए हुई क्रिकेटरों की नीलामी में शिवम मावी को कोलकाता नाइट राइडर्स ने तीन करोड़ रुपये में खरीदा है। ऑलराउंडर की भूमिका निभाने वाले शिवम ने विश्वकप क्रिकेट में 145 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से गेंदबाजी करके चयनकर्ताओं के भरोसे को मजबूती दी। अब तक वह चार मैचों में 8 विकेट लेकर भारत के श्रेष्ठ गेंदबाजों में शुमार हो चुके हैं। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने भी ट्वीट करके शिवम की तारीफ की थी। भारत का सेमीफाइनल में अब पाकिस्तान से 30 जनवरी को मुकाबला होना है। मूलरूप से मेरठ (सीना) निवासी शिवम किसान परिवार से हैं। उनके माता-पिता 14 साल पहले रोजगार की तलाश में नोएडा आ गए थे। परिवार की आर्थिक स्थिति उस वक्त बेहद कमजोर थी। वह अपने साथियों की किट से क्रिकेट खेला करते थे। उनके हुनर को देखकर बाद में परिवार ने भी शिवम का हौसला बढ़ाना शुरू कर दिया। उनका परिवार सेक्टर-71 में दो कमरे के छोटे से फ्लैट मे

अपनी बहन की वजह से हैं ये क्रिकेटर आज करोड़पती, आईपीएल में 8.5 करोड़ रुपये में खरीदा गया

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क्रिकेट को हमारे देश में धर्म की तरह माना जाता हैं और हर कोई क्रिकेटर बनने का सपना रखता हैं. क्रिकेट में अब इतना पैसा आ गया हैं की हर कोई क्रिकेटर बनना चाहता हैं. आईपीएल आने के बाद क्रिकेट में और ज्यादा पैसा आ गया हैं जिससे छोटे छोटे क्रिकेटर भी करोड़पती बन जाते हैं. वैसे क्रिकेटर बनना कोई आसान बात नहीं हैं उसके लिए काफी मेहनत करनी पड़ती हैं तब जाकर कोई अच्छा क्रिकेटर बन पाता हैं. आज हम भारतीय क्रिकेटर तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार के बारें में आपको बताएंगे जिनको क्रिकेटर बनने के लिए उनकी बहन ने जो जो किया वो बताएंगे. भुवनेश्वर कुमार आज भारत के एक शानदार तेज गेंदबाज हैं और उनकी गेंदबाजी का लोहा पूरी दुनिया मान चूकी हैं. भुवनेश्वर कुमार उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं. भुवनेश्वर कुमार एक शांत स्वभाव के क्रिकेटर हैं और उनका एक परिवार भी हैं. भुवनेश्वर कुमार की बचपन से क्रिकेटर बनने की ईच्छा थी जिसे उनकी बहन रेखा ने पहचान लिया था. भुवनेश्वर कुमार के पिता पुलिस में होने की वजह से उनको भुवनेश्वर को समय देना का समय नहीं था, लेकिन भुवनेश्वर कुमार की बहन रेखा ने भुवनेश्वर का सपना पूरा क

जागो गुर्जरोँ जागो अपना इतिहास जानो।

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साथियों मेरा मकसद किसी का दिल दुखाना नहीं था सिर्फ इतना जानना था क्या हमारे साथी भी अपने इतिहास से परिचित हैं दोस्तों बड़ा दुख हुआ जानकर कि कुछ लोग तो सरदार पटेल को गुर्जर मानने से ही मना कर रहे हैं और बड़ा दुख हुआ कि अपने ही प्रेरणा स्रोतों की जन्म तिथि याद नहीं है और वामन बनियों की जिनका आजादी में कोई योगदान नहीं था उनकी जन्म तिथि हमारे भोले भाले युवा बड़े जोश के साथ मनाते हैं जिन का अस्तित्व ही झूठ पर टिका हो वह क्या प्रेरणा देंगे इस भारत की आने वाली पीढ़ी को खैर कोई बात नहीं दोस्तों सवाल मैंने किया था जवाब भी मैं ही देता हूं धन सिंह चपराना जी का जन्म 10 मई 1845 के लगभग माना जाता है इतिहास से सही साक्ष्य न मिलने के कारण व उनके वंश का कोई भी व्यक्ति आज जीवित नहीं है इस कारण चपराना जी की सही जन्म तिथि पर असमंजस बना हुआ है आदिशक्ति राधा रानी का गोत्र हरसाना था और यह राधा अष्टमी के दिन पैदा हुई थी श्रीकृष्ण से 14 दिन बढ़ी सचिन पायलट का जन्म 7 मई 1977 को हुआ था वह यह विधूड़ी गोत्र से थे  सरदार पटेल की जयंती 31 अक्टूबर 1875 है वह यह खटाना गोत्र से थे  यह लेवा खाप से थे  जिन्

इतिहास का सबसे बड़ा खुलासा, राणा प्रताप गुर्जर वंश के थे

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कुछ प्रमाण यहाँ दिये जा रहे हैं जो स्पष्टत: राणा प्रताप के वंश के बारे मे यह दर्शाते हैं कि वे गुर्जर वंश से थे। महाराणा प्रताप आर्यावर्त के महान सूर्यवंशी चक्रवर्ती सम्राटों के वारिस थे। उनका गुहिलोत वंश छठी शताब्दी में गुर्जर साम्राज्य के सूर्यवंशी सम्राट गुहिल (गुहदत्त) से प्रारम्भ हुआ था, जो राजस्थान सहित दक्षिण में मालवा व नर्मदा नदी तक फैला हुआ था। यहाँ के शासक प्रारम्भ से ही पश्चिम की ओर से होने वाले विदेशी हमलावरों से भारत भूमि की रक्षा करते रहे थे। इसी वंश मे पैदा हुए बप्पा रावल (कालभोज) ने इरानी और अरबी यवन आक्रान्ताओं के इस्लामी साम्राज्यवाद से संघर्ष कर हिन्दु धर्म, संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा की थी। इन्हीं के पुत्र रावल खुमाण प्रताप को ‘खुमाण’ भी कहा जाता हैं। इसी वंश मे महाराणा हम्मीर, महाराणा लाखा, पितृभक्त महाराणा चूण्डा, महाराणा कुम्भा जैसे वीर शिरोमणी, उदार और महापराक्रमी शासक हुये थे, जिन्होनें हिन्दु राष्ट्र की अस्मिता और अखण्डता के लिये विदेशी आक्रान्ताओं से लगातार संघर्ष किया। वे देश की स्वतंत्रता के आदेश पुजारी थे। (पाथेय कण, जून(प्रथम) 1996 पृष्ठ संख्या 7 का