लालसोट हत्याकांड भाग 1:-
लालशोट हत्याकांड भाग 1:-
अगला भाग आपको झकझोर देगा......
रोंगटे खड़े हो जायँगे पढ़कर एक बार जरूर पढ़ें और शेयर जरूर करदें इस मामले का अभी तक् ज्यादातर लोगो को मालूम ही नहीं बहुत कम लोग ही इस हत्याकांड से परिचित है।
बात 1 जून 2007 की है गुर्जर आंदोलनरत थे अभी कुछ दिन पहले ही आंदोलन करते निहत्ते गुर्जरो पर बीजेपी सरकार द्वारा गोली चलवा दी गई। कायदे से हिंसक आंदोलन को काबू करने के लिए आंसू गैस, लाठी चार्ज किया जा सकता है परंतु यदि फिर भी हिंसक आंदोलन काबू में ना आये तो आप घुटनो से नीचे गोली मार सकते है पर 2007 में गुर्जर जो आरक्षण आंदोलन कर रहे थे उन निहत्थे गुर्जरो पर जालिम बीजेपी सरकार ने सीने पर गोलिया बरसा दी पर इस बहादुर कौम ने वहां से भागने की जगह वही डटे रहना सही समझा सीने पर गोलियां मारी जा रही थी और गुर्जर सीना ताने खड़े थे सेंकडो गुर्जरो को गोलियों से छलनी कर दिया था गोलिया ऐसे मारी गई मानो अंग्रेज आज़ादी के लिए आंदोलन कर रहे भारतीयों पर गोलियां दागकर बल प्रयोग कर रहे हो। कश्मीर से भारत की फ़ौज राजस्थान के गाँवो में लगा दी गई थी सेंकडो सीने छलनी होने के बावजूद भी वीर गुर्जर आंदोलन में डटे हुए थे मंजर ऐसा था चप्पे चप्पे पर आर्मी, पोलिस, crpf की टुकड़ियां तैनात थी सेंकडो घायल गुर्जरो को जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल ले जाया जा रहा था पूरा जयपुर छावनी बन गया था अस्पताल में भी सुरक्षाबल तैनात थे। 48 का तापमान था गुर्जर उस गर्मी में लाशों के साथ मैदान में डटे हुए थे एक तरफ घर में मातम था किसी की बीवी विधवा हुई किसी के बच्चे अनाथ हुए किसी की माँ ने अपना इकलौता लाल खोया था बूढ़े माँ बाप ने बुढापे की इकलौती लाठी भी खोदी थी किसी के घर से 3 भाई गये आंदोलन में 1 शहीद हुआ तो बचे 2 भाई भागे नही बल्की आंदोलन में डटे रहे आंसू नही निकल रहे थे आंसू खून बनकर रगों में फ़ैल रहे था आंदोलन और हिंसक हो चला था वहां भी आंदोलन हुआ जहां नाम मात्र गुर्जर जनसँख्या थी। ऐसी ही एक जगह है दौसा की लालशोट तहसील।
चलिये अब आते है हत्याकांड पर 1 जून की बात है ऐसा माहौल जब सेंकडो गुर्जर घायल हुए और दर्जनों मारे गए लाशें आंदोलनरत गुर्जरो के अन्दोलनस्थल में पड़ी थी ऐसा होने के बाद आंदोलन बुरी तरह भड़क चुका था टीवी चैनल, न्यूज चैनल, जहाँ तक सभी राजनीतिल दल सिर्फ गुर्जर आंदोलन ही देख रहे थे नौबत यहाँ तक थी केंद्र में बैठी कांग्रेस सरकार ने राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लगाने का कह ही दिया था। वो समय इस संघर्षशील रही संपूर्ण इतिहास में गुर्जर कौम के लिए 1857 की क्रांति के बाद सबसे दुखद क्षण था जब जवान लालो को गुर्जर समाज ने खो दिया। ऐसे समय में एक राजस्थान में जाती है मीणा जो की हकीकत में पिछड़े वर्ग की एक् जाती है मध्य प्रदेश में ये जाती ओबीसी में ही आती है परंतु राजस्थान का भील समाज अपने जाती प्रमाण पत्र में भील के साथ MINA (मीना) भी लिखता है इसी का फायदा उठाकर मीणा जाती ने जो एक बहुत संपन्न कौम है ने पूरे देश के St का फायदा लिया और असली आदिवासियों को कही का न छोड़ा आज ये जाती अकेले St खा रही है केंद्र का भी और राज्य का भी वही असली आदिवासी आज भी हासिये पर हैं।
2007 का समय ऐसा था राजस्थान के गुर्जरो का जब गुर्जर सरकारी नौकरी के नाम पर बस पोलिस और सेना जानते थे तीसरी सरकारी नौकरी उन्हें पता ही नही थी इस बात से लेकर खड़ा हुआ ये आंदोलन जब बीजेपी सरकार ने कत्लेआम किया ऐसे समय में उस कथित St मीणा समाज के सबसे बड़े नेता किरोड़ी लाल मीणा जो उस समय बीजेपी मंत्री थे ने ये ऐलान कर दिया था यदि गुर्जरो को St आरक्षण दिया तो में इस्तीफा दे दूंगा इसी के साथ कई मीणा विधायको ने इस्तीफे पेश कर दिए थे।
गुर्जरो लाशो के साथ आंदोलन कर रहे थे संकल्प लिया था कि कत्लेआम हो जाये परंतु अब लाशों का क्रियाकर्म तब ही होगा जब आरक्षण मिलेगा पूरा राजस्थान बंद था तभी गुर्जरो से जले भुने मीणा समाज ने 1 जून के दिन दौसा जिले के सीमला गांव में हजारो लोगो ने इकठ्ठा होकर अल्टिमेटम दिया की सरकार गुर्जरो को हटाले वरना हम हटा लेंगे इसके बाद मीणा समाज के अध्यक्ष राम नारायण ने मीडिया को फ़ोन पर जानकारी दी के वे रास्ता खुलवायँगे।
मीणा समाज ने रणनीति बनाने के लिए दौसा जिले से 20 किमी दूर प्यारीवास गांव में पंचायत की वहां हजारो की संख्या में मीणा जुटे उन लोगो के हाथों में तलवारे, भाले, डंडे, बंदूकें थी वे सभी हजारो की तादात में लालशोट तहसील जो मीणा बाहुल्य है और जहाँ गुर्जर ना के बराबर है वहां आंदोलन कर रहे 100 के करीब निहत्ते गुर्जरो पर आ बरसे तलवार, बन्दूके, भालो से बार किये गुर्जर बिना हथियार उनसे लड़ पड़े फिर भी हजारो लोग वो भी हथियारों के साथ उनसे कुछ 100 गुर्जर कब तक लड़ते 5 गुर्जर मारे गए 20 घायल हुए। इसके बाद गुर्जर समाज में काफी आक्रोश पैदा हुआ मीणा और गुर्जर समाज में करौली, दौसा, माधोपुर और भरतपुर आदि जिलों में झड़पे हुई।
पर उन 5 गुर्जरो की हजारो मीणाओ द्वारा जो हत्या की गई उस पर आज तक कार्यवाही नही हुई ना उन्हें कोई मुआवजा मिला, जहाँ तक समाज के जयचंद नेताओ ने इस मुद्दे को दबा दिया, मीणा समाज से समीकरण बैठाने लगे हाथ मिलाने लगे भूल गए की इस समाज ने निहत्थे कुछ गुर्जरो पर हजारो की संख्या में बंदूकों, तलवारों भालो से वार किया था और 5 गुर्जरो की हत्या करदी जहाँ तक उस हत्यारी सरकार में भी कई गुर्जर विधायक बैठे थे आज भी मंत्री तक बने बैठे है इस गुर्जरो की हत्यारी सरकार में। मीणों ने अपने गांव में गुर्जरो के लिए आंदोलन में जा रहे खाने को रोका जिस कारण कई दिन तक गुर्जर भूखे प्यासे आंदोलन करते रहे उन तक खाना भी नही पहुंचा। प्रशासन ने मीणा समाज का साथ दिया ये सब राजनीती के बिना होना असंभव था आखिर जब मीडिया तक को आंदोलन स्थल तक नही जाने दिया जा रहा था तब मीणा समाज ने हथियारों के साथ कैसे पंचायत करली कैसे वे वहां तक पहुंचे?
बिना प्रशासन के सहयोग के तो ये हुआ नही होगा इन सब प्रकरण में किरोड़ी लाल मीणा भी शामिल था और बड़े बड़े बीजेपी नेता शामिल थे सवाल उठता है अब तक इस मामले की जाँच क्यों नही हुई?
सेंकडो गुर्जरो के सीने छलनी करने वाले जबानों पर कार्यवाही क्यों नही हुई?
मुआवजा, नौकरी क्यों नही दी गई पीड़ित परिवारों को?
अब तक कई गुर्जर 10 साल से जेल में बंद है क्या हम ब्रिटिशर्स के राज में रह रहे है उनकी रिहाई कब होगी?
गुर्जरो की हत्या होने पर सेंकडो घायल होने पर 2 बीजेपी नेताओं ने नशा करके शराब पार्टी की नशे में झूमे उन पर भी कोई कार्यवाही नही आज वे बड़े पदों पर है कही ना कही सरकार के सहयोग पर ही ये सब हुआ वरना ये सब असंभव था और ये की गई पार्टी तो कुछ यदि दर्शा रही थी!!
हमे सीबीआई जांच चाहिए इस मुद्दे की दोषी नेताओ, पुलिसकर्मियों, मीणा नेताओ, और हत्याकांड में शामिल लोगो पर कार्यवाही होनी चाहिए व आंदोलन में गिरफ्तार किये गए सभी गुर्जर रिहा होने चाहिए।
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पोस्ट:-मीडिया रिपोर्ट के आधार पर अगली पोस्ट आपको झकझोर डालेगी इसे शेयर करते रहे अगली पोस्ट का इंतेजार करे।
लालशोट हत्याकांड भाग 2................
अगला भाग आपको झकझोर देगा......
रोंगटे खड़े हो जायँगे पढ़कर एक बार जरूर पढ़ें और शेयर जरूर करदें इस मामले का अभी तक् ज्यादातर लोगो को मालूम ही नहीं बहुत कम लोग ही इस हत्याकांड से परिचित है।
बात 1 जून 2007 की है गुर्जर आंदोलनरत थे अभी कुछ दिन पहले ही आंदोलन करते निहत्ते गुर्जरो पर बीजेपी सरकार द्वारा गोली चलवा दी गई। कायदे से हिंसक आंदोलन को काबू करने के लिए आंसू गैस, लाठी चार्ज किया जा सकता है परंतु यदि फिर भी हिंसक आंदोलन काबू में ना आये तो आप घुटनो से नीचे गोली मार सकते है पर 2007 में गुर्जर जो आरक्षण आंदोलन कर रहे थे उन निहत्थे गुर्जरो पर जालिम बीजेपी सरकार ने सीने पर गोलिया बरसा दी पर इस बहादुर कौम ने वहां से भागने की जगह वही डटे रहना सही समझा सीने पर गोलियां मारी जा रही थी और गुर्जर सीना ताने खड़े थे सेंकडो गुर्जरो को गोलियों से छलनी कर दिया था गोलिया ऐसे मारी गई मानो अंग्रेज आज़ादी के लिए आंदोलन कर रहे भारतीयों पर गोलियां दागकर बल प्रयोग कर रहे हो। कश्मीर से भारत की फ़ौज राजस्थान के गाँवो में लगा दी गई थी सेंकडो सीने छलनी होने के बावजूद भी वीर गुर्जर आंदोलन में डटे हुए थे मंजर ऐसा था चप्पे चप्पे पर आर्मी, पोलिस, crpf की टुकड़ियां तैनात थी सेंकडो घायल गुर्जरो को जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल ले जाया जा रहा था पूरा जयपुर छावनी बन गया था अस्पताल में भी सुरक्षाबल तैनात थे। 48 का तापमान था गुर्जर उस गर्मी में लाशों के साथ मैदान में डटे हुए थे एक तरफ घर में मातम था किसी की बीवी विधवा हुई किसी के बच्चे अनाथ हुए किसी की माँ ने अपना इकलौता लाल खोया था बूढ़े माँ बाप ने बुढापे की इकलौती लाठी भी खोदी थी किसी के घर से 3 भाई गये आंदोलन में 1 शहीद हुआ तो बचे 2 भाई भागे नही बल्की आंदोलन में डटे रहे आंसू नही निकल रहे थे आंसू खून बनकर रगों में फ़ैल रहे था आंदोलन और हिंसक हो चला था वहां भी आंदोलन हुआ जहां नाम मात्र गुर्जर जनसँख्या थी। ऐसी ही एक जगह है दौसा की लालशोट तहसील।
चलिये अब आते है हत्याकांड पर 1 जून की बात है ऐसा माहौल जब सेंकडो गुर्जर घायल हुए और दर्जनों मारे गए लाशें आंदोलनरत गुर्जरो के अन्दोलनस्थल में पड़ी थी ऐसा होने के बाद आंदोलन बुरी तरह भड़क चुका था टीवी चैनल, न्यूज चैनल, जहाँ तक सभी राजनीतिल दल सिर्फ गुर्जर आंदोलन ही देख रहे थे नौबत यहाँ तक थी केंद्र में बैठी कांग्रेस सरकार ने राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लगाने का कह ही दिया था। वो समय इस संघर्षशील रही संपूर्ण इतिहास में गुर्जर कौम के लिए 1857 की क्रांति के बाद सबसे दुखद क्षण था जब जवान लालो को गुर्जर समाज ने खो दिया। ऐसे समय में एक राजस्थान में जाती है मीणा जो की हकीकत में पिछड़े वर्ग की एक् जाती है मध्य प्रदेश में ये जाती ओबीसी में ही आती है परंतु राजस्थान का भील समाज अपने जाती प्रमाण पत्र में भील के साथ MINA (मीना) भी लिखता है इसी का फायदा उठाकर मीणा जाती ने जो एक बहुत संपन्न कौम है ने पूरे देश के St का फायदा लिया और असली आदिवासियों को कही का न छोड़ा आज ये जाती अकेले St खा रही है केंद्र का भी और राज्य का भी वही असली आदिवासी आज भी हासिये पर हैं।
2007 का समय ऐसा था राजस्थान के गुर्जरो का जब गुर्जर सरकारी नौकरी के नाम पर बस पोलिस और सेना जानते थे तीसरी सरकारी नौकरी उन्हें पता ही नही थी इस बात से लेकर खड़ा हुआ ये आंदोलन जब बीजेपी सरकार ने कत्लेआम किया ऐसे समय में उस कथित St मीणा समाज के सबसे बड़े नेता किरोड़ी लाल मीणा जो उस समय बीजेपी मंत्री थे ने ये ऐलान कर दिया था यदि गुर्जरो को St आरक्षण दिया तो में इस्तीफा दे दूंगा इसी के साथ कई मीणा विधायको ने इस्तीफे पेश कर दिए थे।
गुर्जरो लाशो के साथ आंदोलन कर रहे थे संकल्प लिया था कि कत्लेआम हो जाये परंतु अब लाशों का क्रियाकर्म तब ही होगा जब आरक्षण मिलेगा पूरा राजस्थान बंद था तभी गुर्जरो से जले भुने मीणा समाज ने 1 जून के दिन दौसा जिले के सीमला गांव में हजारो लोगो ने इकठ्ठा होकर अल्टिमेटम दिया की सरकार गुर्जरो को हटाले वरना हम हटा लेंगे इसके बाद मीणा समाज के अध्यक्ष राम नारायण ने मीडिया को फ़ोन पर जानकारी दी के वे रास्ता खुलवायँगे।
मीणा समाज ने रणनीति बनाने के लिए दौसा जिले से 20 किमी दूर प्यारीवास गांव में पंचायत की वहां हजारो की संख्या में मीणा जुटे उन लोगो के हाथों में तलवारे, भाले, डंडे, बंदूकें थी वे सभी हजारो की तादात में लालशोट तहसील जो मीणा बाहुल्य है और जहाँ गुर्जर ना के बराबर है वहां आंदोलन कर रहे 100 के करीब निहत्ते गुर्जरो पर आ बरसे तलवार, बन्दूके, भालो से बार किये गुर्जर बिना हथियार उनसे लड़ पड़े फिर भी हजारो लोग वो भी हथियारों के साथ उनसे कुछ 100 गुर्जर कब तक लड़ते 5 गुर्जर मारे गए 20 घायल हुए। इसके बाद गुर्जर समाज में काफी आक्रोश पैदा हुआ मीणा और गुर्जर समाज में करौली, दौसा, माधोपुर और भरतपुर आदि जिलों में झड़पे हुई।
पर उन 5 गुर्जरो की हजारो मीणाओ द्वारा जो हत्या की गई उस पर आज तक कार्यवाही नही हुई ना उन्हें कोई मुआवजा मिला, जहाँ तक समाज के जयचंद नेताओ ने इस मुद्दे को दबा दिया, मीणा समाज से समीकरण बैठाने लगे हाथ मिलाने लगे भूल गए की इस समाज ने निहत्थे कुछ गुर्जरो पर हजारो की संख्या में बंदूकों, तलवारों भालो से वार किया था और 5 गुर्जरो की हत्या करदी जहाँ तक उस हत्यारी सरकार में भी कई गुर्जर विधायक बैठे थे आज भी मंत्री तक बने बैठे है इस गुर्जरो की हत्यारी सरकार में। मीणों ने अपने गांव में गुर्जरो के लिए आंदोलन में जा रहे खाने को रोका जिस कारण कई दिन तक गुर्जर भूखे प्यासे आंदोलन करते रहे उन तक खाना भी नही पहुंचा। प्रशासन ने मीणा समाज का साथ दिया ये सब राजनीती के बिना होना असंभव था आखिर जब मीडिया तक को आंदोलन स्थल तक नही जाने दिया जा रहा था तब मीणा समाज ने हथियारों के साथ कैसे पंचायत करली कैसे वे वहां तक पहुंचे?
बिना प्रशासन के सहयोग के तो ये हुआ नही होगा इन सब प्रकरण में किरोड़ी लाल मीणा भी शामिल था और बड़े बड़े बीजेपी नेता शामिल थे सवाल उठता है अब तक इस मामले की जाँच क्यों नही हुई?
सेंकडो गुर्जरो के सीने छलनी करने वाले जबानों पर कार्यवाही क्यों नही हुई?
मुआवजा, नौकरी क्यों नही दी गई पीड़ित परिवारों को?
अब तक कई गुर्जर 10 साल से जेल में बंद है क्या हम ब्रिटिशर्स के राज में रह रहे है उनकी रिहाई कब होगी?
गुर्जरो की हत्या होने पर सेंकडो घायल होने पर 2 बीजेपी नेताओं ने नशा करके शराब पार्टी की नशे में झूमे उन पर भी कोई कार्यवाही नही आज वे बड़े पदों पर है कही ना कही सरकार के सहयोग पर ही ये सब हुआ वरना ये सब असंभव था और ये की गई पार्टी तो कुछ यदि दर्शा रही थी!!
हमे सीबीआई जांच चाहिए इस मुद्दे की दोषी नेताओ, पुलिसकर्मियों, मीणा नेताओ, और हत्याकांड में शामिल लोगो पर कार्यवाही होनी चाहिए व आंदोलन में गिरफ्तार किये गए सभी गुर्जर रिहा होने चाहिए।
आप सबसे हाथ जोड़कर विनती है इस पोस्ट को कृपा शेयर करदें।
पोस्ट:-मीडिया रिपोर्ट के आधार पर अगली पोस्ट आपको झकझोर डालेगी इसे शेयर करते रहे अगली पोस्ट का इंतेजार करे।
लालशोट हत्याकांड भाग 2................
Gurjar akta jindabad
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