गुर्जर जाती की उतपत्ति

गुर्जर जाति की उत्पत्ति
गुर्जर जाति की उत्पत्ति इस तरह बताते हैं किः
सतयुग सम्वत् 51 माघ सुदी द्वादशी, फुख नक्षत्र जाण।
जिस दिन प्रकट हुआ यह गुर्जर वंश प्रमाण।।
सतयुग का 51 साल में कार्तिक बुदी पडवा और कृतिका नक्षत्र में भगवान ने 14 रत्न निकाला था उसमें एक कामधेनु गाय निकली थी जिसके बाद 3 महीने 27 दिन में वही कामधेनु गाय गऊ घोटा द्वारा गुर्जर की उत्पत्ति हुई थी
यह गुर्जर सतयुग सम्वत् 51 के साल में माघ सुदी द्वादशी के दिन प्रकट हुए थे। ओम अलख निरंजन निराकार, निष्कलंक, ज्योति स्वरूपजी परब्रह्म परमेश्वर और शंकर भगवान ने अपनी शक्ति द्वारा लौकिक ज्योति से कामधेनु गाय के गऊ घोटा द्वारा एक बालक उत्पन्न किया, जिसको कल्पवृक्ष की जड़ चुखाकर पालन किया, जिसका नाम गोपाल रखा। गोपाल शंकर भगवान की गायों को चराते थे। जब गोपाल जवान हुआ तब सती जी ने कहा कि हे स्वामी हम स्वयं तो दो ही स्त्री पुरुष आपस में बात करते हैं। पर यह गोपाल तो अकेला ही है। हे स्वामी इसके भी कोई पत्नी हो तो इसके कोई संतान चले। तब शंकर भगवान ने कहा कि यह गोपाल हमने पैदा कर दिया है तो इसके लिए औरत आप ही कर दो। आप भी तो शक्ति हो। सती जी ने जवाब दिया कि जैसी आपकी आज्ञा स्वामी। शंकर भगवान ने कहा कि हमारी तो आज्ञा है। तब माता सती जी ने अपने हाथ से कंगन उतार कर गोपाल को दे दिया और कहा कि गोपाल बेटा तेरे को जो भी जानवर मिले उसको ही यह कंगन पहना देना, जिससे वह तुम्हारी औरत बन जाएगी। गोपाल कंगन को लेकर गायों को चराने के लिए जंगल में चला गया। जंगल में गोपाल को एक शेरनी मिल गई। गोपाल ने उस शेरनी को पकड़ के माता सती जी का दिया हुआ कंगन पहना दिया। कंगन पहनाते ही शेरनी एक सुंदर कन्या के रूप में प्रकट हो गयी, जिसको लेकर गोपाल शाम होते ही कैलाश पर्वत पर आ गया। शंकर भगवान और सती जी ने उस कन्या को देखा तो कहा गोपाल तु तो बहुत ही सुन्दर बहु लाया है। फिर शंकर भगवान ने गोपाल से शेरनी का सारा हाल पुछा और गोपाल ने शंकर भगवान से सारा हाल सुना दिया फिर शंकर भगवान ने कहा कि
धन हे बेटा गोचर वनसी तुम शेर राज से झगड़ा कर आया।
अपनी हिम्मत शक्ति वीरता से शेरनी की नार बना लाया।।
फिर विधि-विधान के अनुसार दोनों का विवाह करा दिया। उस शेरनी के गर्भ से नौ बालक पैदा हुये, जिसका नाम से ही यह नौ नात फटी है, जिसको ही नौ नांगली गुर्जर कहते हैं। इन नौ लडकों की पत्नियां इस प्रकार है एक करदम नाम के ॠषि थे, जिनकी स्त्री का नाम देवती था। इस ॠषि के नौ लड़कियाँ थी। यह गोपाल के नौ लडकों को ब्याह कर दिया था। यह 9 गुर्जर सतयुग ने गोपाल से कहा कि गोपाल तुम्हारे वंश के 'वीर' पदवी लग जायेगी क्योंकि तुमने शेरनी से झगड़ा कर उसको कंगन पहनाया था! वह शेरनी सती जी की कृपा से लडकी बन गई, और तुम्हे ब्याह दी गई, इस वजह से गुर्जर जाति के वीर पदवी लगी है। यह गुर्जर शेरनी से पैदा हुआ जिससे गुर्जर नाहर कहते है। नौ पुत्रों के नाम इस प्रकार है:-
१. योगपाल : लोर गुर्जर
२. नरपाल : खारी गुर्जर
३. मोरपाल :मेवडा गुर्जर
४. गदीतपाल :बुन्देला गुर्जर
५. मुदीतपाल :मेवाती गुर्जर
६. देवपाल : गायरी गुर्जर
७. गदरपाल :कामलिया गुर्जर
८. महीपाल :मेरठा गुर्जर
९. रूदीतपाल : रिया गुर्जर

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