खुलासा लालसोट हत्याकांड भाग 2:-
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लालशोट हत्याकांड भाग 2:-
भाग 1 मीडिया रिपोर्ट पर आधारित था उसमें वही बाते थी जो मीडिया ने छापी असली हत्याकांड की तस्वीर उन रिपोर्ट में गायब थी इस भाग में असलियत सामने लाइ जायगी की क्यों है ये हत्याकांड हाई प्रोफाइल और निर्मम:-
जैसा पिछले भाग में बताया गया कि सुरक्षाबलों ने गुर्जरो के सीने छलनी कर दिए थे कई माओ के बेटे मार दिए थे कई बीवियां विधवा हो गई थी सारे देश की निगाहें टिकी थी गुर्जर आंदोलन पर लेकिन वहां कुछ ऐसा भी हुआ था जो खुद 90% से ज्यादा गुर्जरो को मालूम ही नही या मालूम भी है तो टूटी फूटी बाते।
1 जून 2007 की बात है लालशोट तहसील, दौसा जिला जो मीणा बाहुल्य है वहां लालशोट के आस पास छोटी छोटी गुर्जरो की ढाणीयाँ है वे लालशोट कस्बे में दूध बेचने, खरीद दारी करने आया करते थे जैसे की हमने बताया सुरक्षाबलों ने कई गुर्जरो की हत्या की जिसके विरोध में उन ढाणीयो के कुछ 100 की संख्या में युवक इकट्ठे हुए थे और प्रदर्शन किया जा रहा था उन्हें कोई अंदेशा नही था कि उनकी मौत आने वाली है उसी समय जब वे प्रदर्शन कर रहे थे कोई 10000 की संख्या में मीणा जाती के लोग तलवार, गंडासे, दोनाली बन्दूक, डंडों के साथ आये। ये सब बहूत अचानक से हुआ 100 के सामने 10 हजार मीणा जाती के लोग खड़े हो गए थे वो भी हथियारों के साथ कुछ मीणों के पास पेट्रोल, और तेजाब भी था। आखिर 100 युवक 10 हजार का क्या सामना करते वहां अफरा तफरी मच गई वहां से भागना बेहतर समझा जहाँ प्रदर्शन किया जा रहा था वही से कुछ 200 मीटर दूर एक मुस्लिमो का बड़ा मोहल्ला नाम से एक मोहल्ला पड़ता है आस पास ब्राह्मण और बनियो के घर भी है कुछ युवक शरण के लिए ब्राह्मण-बनियो के यहाँ गये परंतु उन्होंने शरण नही दी आखिर दें भी कैसे सबको जान प्यारी है वही मुस्लिम मोहल्ले में गुर्जरो के कुछ दोस्तों के यहाँ कुछ गुर्जरो ने शरण ली मुस्लिमो ने रिस्क लेते हुए गुर्जर युवकों को बचाया परंतु ये कुछ ही युवक थे जो बच पाये। जहाँ ये प्रदर्शन हो रहा था वहां पहाड़ी पड़ती है कुछ 7 युवक जान बचाते हुए उस पहाड़ी पर चढ़ गए लेकिन उस पहाड़ी को मीणा समाज के हजारो लोगो ने चारों तरफ से घर लिया व ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगे। गुर्जरो ने भी आर पार की सोचली उन 7 गुर्जरो ने पहाड़ी पर पत्थर जो पड़े थे उनसे बार किये उन पर पत्थर फेंके पर हजारो लोगो पर 7 लोगो का क्या असर होता। हुआ ये की मीणा समाज के लोग भी पहाड़ी पर चढ़ गए और उन्हें पहाड़ी से नीचे फेंक दिया उन 7 की बॉडी के टुकड़े टुकड़े हो गए आज भी 2-3 लाशें मिली नही ये सब मंजर पूरा लालशोट अपनी छतों से चढ़कर देख रहा था लालशोट के निवासी आज भी उस हत्याकांड की गवाहि देते है कैसे कुछ 7 लोगो पर हजारो लोगो ने उनकी पहाड़ी से फेंक कर हत्या करदी कईयो को घायल कर दिया। ये सब यही नही रुका आस पास जो गुर्जरो की ढाणी है वे वहां भी गये पेट्रोल से गुर्जरो के घर पर पेट्रोल छिड़क दिया गुर्जरो की ढाणी के 30 घर जला दिए। उन घरों के सिर्फ बुजुर्ग, बच्चे और औरते थी उन ढाणीयो के युवकों को तो मौत के घाट उतार दिया गया था तो कुछ ने अपने दोस्तों के यहाँ शरण ले ली थी। ढाणी में घर जला देने के बाद उन्होंने छोटे बच्चों पर तेजाब डाल दिया, जलते चूल्हे में एक बच्चे को डाल दिया यही नही भीड़ ने सामूहिक दुष्कर्म भी किये बलात्कार भी हुए, छेड़छाड़ हुई लूट मार हुई, शायद ही कुछ लोगो को मालूम हो की लालशोट हत्याकांड सिर्फ हत्याकांड नही सामूहिक दुष्कर्म भी किया गया था भीड़ द्वारा।
ये था सारा मामला पर ये मामला बहुत सारे सवाल छोड़ता है:-
1). जब पूरे देश की निगाहें गुर्जर आंदोलन पर टिकी थी जब सभी पक्ष विपक्ष सभी दल एक टेबल पर मिलके मीटिंग कर रहे थे, राष्ट्रपति से लेकर सुप्रीम कौर्ट तक ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और ऐसे वक़्त में जब आंदोलनरत जिलो पर कई कानून लागू कर कार्यवाही की जा रही रही दौसा, करौली, माधोपुर में बिना वारंट गिरफ़्तारी की जा सकती थी जिस समय मीडिया को भी वहां एंट्री नही थी आखिर उस समय मीणा समाज ने पंचायत कैसे की? हजारो की भीड़ कैसे इकट्ठी हुई? जब व्यक्ति का घर से निकल पाना मुश्किल था तब हजारो की संख्या में हथियारों के साथ मीणा समाज ने कैसे पंचायत की? क्या प्रशासन को ये पंचायत होने से नही रोकनी चाहिए थी? हथियारों के साथ मीणा समाज का जाना और तेजाब और पेट्रोल ले जाना ये सब क्या पहले से निर्धारित नही था हत्या करना और घर जलाना?
2). एक छोटा सा प्रदर्शन जिसमे 100 के आस पास युवक धरना दे रहे थे वहां लगभग 10 हजार मीणाओ का हथियारों के साथ पहुंचना, पेट्रोल और तेजाब जैसी चीजो के साथ पहुंचना क्या पहले से प्लान किया हुआ नही था? जब किसी को आसंका नही थी की लालशोट में हजारो की भीड़ हथियारों के साथ जुट जायगी तब ऐसा होना क्या पहले से तय नही था? ये मामला अचानक से हुआ नही बल्कि इस मामले में सरकार, प्रशासन भी शामिल थे सब कुछ पहले से निर्धारित था तभी वे हजारो लोग हत्या करने का मंसूबा लेकर 100 लोगो पर टूट पड़े और उनके घर जलाए बलात्कार तक हुए।
3). मीडिया ने रिपोर्ट में लिखा दोनों समुदाय हथियारों से लेश थे दोनों समुदाय के पास पेट्रोल वे तेजाब जैसे पदार्थ थे मीडिया की इस रिपोर्ट पर भी सवाल उठता है कि जब 100 लोग धरना दे रहे रहे तो वे हथियार क्यों रखेंगे तेजाब किसके लिए रखेंगे अगर उन्हें मालूम होता की ये सब होने वाला है तो क्या वे भी एक पंचायत करके बराबर की टक्कर नही देते? कुल मिलाकर मीडिया ने भी कोशिश की के गुर्जर भी दोषी थे और गुर्जरो ने भी हथियारों से उनसे लड़ाई की जबकि सोचने वाली बात ये है 100 लोग 10 हजार लोगो का कैसे सामना करेंगे हथियारों के साथ भी?
4). 15 से ज्यादा हत्याएं हुई छोटे नवजात शिशुओं से लेकर बुजुर्गों तक की हत्या हुई औरतो से बलात्कार हुए मीडिया ने ये क्यों दबाया? मीडिया ने सिर्फ 5 हत्या क्यों लिखी? सच क्यों नही लिखा?
5). जब पुरे राजस्थान में कर्फ्यू था और इतनी बड़ी पंचायत हुई हजारो की भीड़ जुटी कुछ 100 गुर्जरो पर वे कहर की टफ टूट पड़े तब पोलिस कहा थी? क्या ये सब पहले से तय साबित नही होता?
6). अब तक उन पीड़ित परिवारों को मुआवजा और न्याय क्यों नही दिया गया मामला क्यों दबा दिया गया?
7). गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति पर भी ये सवाल उठते है कि लालशोट कांड पर उन्होंने क्यों कार्यवाही और सीबीआई जांच की मांग नही की?
8). करौली में होने वाली अभी 22 तारीख की महापंचायत में लालशोट कांड के मसले को क्यों हटाया गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति इस मामले पर कार्यवाही या इस मामले को उठाने से क्यों बचती है?
9). शहीद हुए गुर्जरो को मारने वाले पुलिसकर्मियों पर अब तक कार्यवाही क्यों नही हुई?
10). ये सब घटनाक्रम और प्रशासन की नीतियां यही दर्शा रही है कि ये सब बड़ी साजिश के तहत हुआ और इसमें सिर्फ वो मीणा समाज की 10 हजार की भीड़ ही नही बहुत लोग जिम्मेदार है कई पोलिस अफसर, नेता, जहां तक गुर्जर नेता भी इस कांड में शामिल पाये जायँगे क्यों नही सीबीआई जांच होती क्यों बचा जा रहा है सीबीआई जांच से?
यदि मीणों को मुकाबला करना था उन्होंने क्यों नही आंदोलन स्थल पर किया जहाँ उन्हें बराबर की टक्कर मिलती क्यों फिर उन्होंने बयान, करौली, माधोपुर आदि में गुर्जरो से मुकी खाली क्यों उन्होंने लालशोट जैसी जगह जहाँ 10 गुर्जर प्रदर्शन कर रहे थे ऐसी जगह क्यों चुनी अगर उन्हें सामना करना था तो आंदोलन स्थल पर जहाँ गुर्जर जमा थे वहां जाते कायरो की तरह औरतो पर और हजारो लोगो का 100 युवकों पर टूट पड़ना कहाँ की बहादुरी है?
काफी लोग अब ये भी कहेंगे कि गुर्जरो ने भी तो मीणा मारे जी हां गुर्जरो ने भी मारे होंगे एक्शन का रिएक्शन तो होता ही है पर फिर भी यदि गुर्जरो ने मीणा मारे है तो हजारो गुर्जर अभी भी जेल में बंद है 2007 से उन्हें सजा मिल रही है पर लालशोट हत्याकांड में तो किसी को भी सजा नही हुई ऐसा क्यों।
हमारी मांग है सरकार लालशोट कांड की सीबीआई जांच करवाएं इस मुद्दे को भले ही करौली की महापंचायत से बाहर कर दिया हो पर फिर भी ये मांग उठाई जायगी।
अब न्याय लेकर रहेंगे ये मामला भले ही दबा दिया गया हो 90% से अधिक गुर्जरो को मालूम ना हो पर अब न्याय चाहिए अब सब गुर्जरो को पता चलना चाहिए इस हत्याकांड की असलियत और सीबीआई जांच होनी चाहिए जिसने भी मीणाओ की भीड़ इकट्ठी की उसे गिरफ्तार किया जाये मीणा नेताओ पर कार्यवाही हो जो भी इस प्रकरण में शामिल था और प्रशासन और सरकार के अधिकारी व नेताओ पर भी कार्यवाही हो जो भी इस मामले में सम्मिलित हो और जिनकी सह से ये हत्याकांड ने अंजाम दिया साथ ही इस मुद्दे को क्यों दबाया गया इसका भी जबाब दिया जाये।
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