सुरसुरा की बावड़ी का लेख,,,

सुरसुरा की बावड़ी का लेख !!
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{ कृपया पूरी पोस्ट ध्यान से पढ़ें !! }

राजस्थान की तेजाजी वीर गाथा में जिस लाछा गूर्जरी का जिक्र आता है, उसकी स्मृतियां किशनगढ़ के पास की एक बावड़ी से जुड़ी है। यह लाच्छा गूर्जरी की बाव के रूप में बताई जाती है ?????
{तेजा ज़ी महाराज के सन्दर्भ में लाछा गूर्जरी का प्रसंग आता है उसको इससे ज़बरदस्ती लिंक करने की कोशिश की गई कुछ असामाजिक / अज्ञानी तत्त्वों के द्वारा !!
जय जय }

इस बाव पर एक शिलालेख लगा है संवत 1751 ( 1694 ईसवी) का। इसमें आषाढ़ की उजाली 10 तिथि को बावड़ी की प्रतिष्ठा होने, बावड़ी के निर्माण पर साढ़े चार हजार रुपए खर्च होने और उसके समारोह की जानकारी है।

सबसे रोचक बात यह है कि लाछा ने इसको कुंड लिखा और खुद को बडारण महादोजजी सुरतान कच्छावा की लिखवाया है, गूर्जरी नहीं। यह अभिलेख गणेश के कर्क सम रेखांकन के साथ उत्कीर्ण है। दो साल पहले मित्र मदन मीना जी के लिए इसका मैने वाचन किया और आज भगवती नितिला ने दोबारा भेजा तो मन हुआ कि सब मित्र इसका लाभ लें। यह भी जानें कि इसे यदि पहले
पढ़ लिया जाता तो मान्यता अलग होती। { श्रीं कृष्ण जूगनू - प्रसिद्ध इतिहासकार }

पाठ इस प्रकार है :

७ श्री गणेशाय न
म संवत १७५१ प्रवर्तमाने शा
के १६०६ प्रवर्तमाने उत्तरायण
गृहगत्ये ग्रीष्म ऋतौ आषाढ़
मासे शुक्ल पक्षए दस्म १० तिथौ
भृगुवासरे बडरण लाछी कुंड
प्रतिष्ठा सिध्यति शुभ भवतु।
कुल च्यार हजार जो स्वदरे (? एकावन)
४५१० त गणेशरस्तू। महीदोजी वझजी श्री
सुरताणदरजी कच्छावा जी री  बड़ारण ला
छी कुंड कराव्यो।।

... इस पर मित्रों की सम्मति की प्रतीक्षा रहेगी।
जय जय।

श्रीकृष्ण "जुगनू"

जबकि सच्चाई ये है !!
सच यह है कि यह बावड़ी उस लाछा की है जो दर्जी समाज के कच्छावा गोत्र के सुल्तान नामक व्यक्ति की पत्नी थी। { इस बावड़ी का गूर्जरी लाछा से कोई संबंध नहीं है }
वह बड़ारण थी। यानी कि रानियों की प्रमुख सेविका। अक्सर ये रानियों के साथ ही ब्याह में आती या दी जाती थी !
उदयपुर में प्रभुबाई दर्जी बारातण ने इसी तरह की बावड़ी बनवाई और शिलालेख लगवाया जो वीर विनोद में छपा है और  उसका अर्थ किया है...।
हमें तथ्यों को विद्वानों से उचित परीक्षण करवा कर एक राय होकर ही कोई नया पट्ट आदि लगवाना चाहिए।

किशनगढ़... काळी डूंगरी... रलावता.... ... सुरसुरा..बावङी .. .रुपनगढ..... पनेर.... जाजोता.... ऊजोली.....

जय जय वीरों की !!!

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