"पगड़ी तू सम्भाल गुर्जरां" कर तू कमाल गुर्जरां





सोचा लिख ही दूँ, हाल ही में दक्षिणी दिल्ली में नगर निगम के भाजपाई सत्तासीन ने एक पार्षद के प्रस्ताव को यह कहकर ठुकरा दिया की राजेश पायलट महापुरूष नही है और राजेश खन्ना को महापुरूष स्वीकार करके एक बड़े पार्क का नाम उनके नाम पर कर दिया,ख़ैर तुलना कतई नही है,एक अभिनेता थे जो,एक राजनेता थे।रही बात पायलट साब की तो पायलट किसान और मजदूरों के सर्वमान्य महान नेता थे,एक सफ़ल नेता और लोकप्रिय सांसद, ईमानदार, जनप्रिय,कर्मठ,विकासोन्मुखी,नई सोच से भरे हुए,निर्णायक सोच के और किसान मजदूरों के सच्चे हितैषी।महापुरुष तो वे थे।
दिल्ली के इन पार्षद और अन्य पार्षदों के लिए एक सुझाव और सलाह है कि इस बार फिर प्रस्ताव भेजो और उसमें पार्कों,सड़कों,पुलों,चौक चौराहों,संस्थाओं और खेल मैदानों के नाम चक्रवर्ती सम्राट कनिष्क कसाना, गुर्जर सम्राट मिहिरभोज,गुर्जर सम्राट नागभट्ट,सम्राट मिहिरकुल हूण,हिन्दरक्षक महाराजा जयभट गुर्जर,1857 की क्रांति के जनक क्रान्तिनायक कोतवाल धन सिंह गुर्जर, शहीद राजा विजय सिंह गुर्जर,राजस्थान केसरी वीर विजय सिंह पथिक,क्रान्तिवीर राव कदम सिंह गुर्जर,क्रान्तिवीर राव उमराव सिंह भाटी, मुक़द्दम शिब्बा सिंह गुर्जर,दिलेर-ए-दिल्ली शहीद चौधरी दयाराम खारी, वीर राव देवहंस कसाना, वीरांगना आशादेवी गुर्जराणी,वीर प्रतापराव गुर्जर, बाग़ी झण्डा गुज्जर आदि के नाम पर प्रस्ताव भेजो,फिर देखों कोण ठुकराता है? हमारी बिरादरी में महापुरुषों की कमी नहीं है,कमी है तो आप जैसे पार्षदों,नेताओ,नुमाइंदों की पैरवी और नीयत में जो करते कम हैं और हवा ज़्यादा बांधते हैं।
समझदारी से काम लो और अक्लमंदी से पैरवी।केवल गुर्जर बिरादरी के महापुरुष की बजाय देश और भारत के महान पुरुष और विभूति कहकर प्रचारित करो।आप जब प्रस्ताव भेजो तो बड़े पार्क,सड़क और चौक के नाम भेजो।एक बार ना हो तो दुबारा,तिबारा भेजो।आप भी तो क़सर मत छोड़ो।देर करते रहोगे तो दूसरों के नाम पर चीजें होती रहेंगी,हमारे महापुरुष बस गुर्जर पेजों पर दीखते रहेंगे बाकी ज़मीन पर कुछ नहीं होगा।युवाओं से अपील है कि अपने शहर,कस्बों के पार्षदों के पास जाकर ये प्रस्ताव भिजवायें, लगातार तगादा करते रहें की चौधरी साब हुआ की नी हुआ।पार्क और जगह चिन्हित करते रहें और तुरन्त मांग करों नामकरण की।अब सम्मान और पिछाण की बात है।
पगड़ी सम्भाल गुज्जरां
कर कमाल गुज्जरां।।

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